इस लेख का उपयोग मात्र ज्योतिष शास्त्र में छिपे हमारे पूर्वजों द्वारा कुछ अज्ञात बातों से हमें ज्ञात करने हेतु जो भी ग्रन्थ उपलब्ध करवायें हैं उनसे पाठकों को अवगत करवाना है न ही किसी को अन्धविश्वास में डालना। ज्योतिष के ग्रंथों के आधार पर महामारी के सन्दर्भ में ज्योतिष शास्त्र की मर्यादा में रह कर यहाँ पर सामग्री संकलित की गयी है। हमारा विनम्र निवेदन है की प्रस्तुत जानकारी के द्वारा ज्योतिष ग्रंथो में रहे भविष्य के ज्ञान को उजागर करना ही हमारा ध्येय है। COVID-19 (कोरोनावायरस 2019) से सम्बन्धित किसी भी तरह की अवैज्ञानिकता साबित करना इस लेख का व हमारा ध्येय नहीं है।
हम चाहते हैं की कृपया आप वैज्ञानिक सिद्धान्तों का अनुसरण करें एवं इस संक्रामक बीमारी से बचने के लिये सरकार के द्वारा जो भी सुझाव, जानकारी एवं नियम जारी किये जा रहे हैं, उनका सम्मान सहित पालन करें।
विभिन्न ज्योतिषीय गणना व गोचर ग्रहस्थिति के अध्यनानुसार, महामारी कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति सितम्बर, 2020 तक सामान्य हो जाएगी। लेकिन वर्तमान में, कोविड-19 से अपनों की सुरक्षा का एकमात्र उपाय है कि सरकार द्वारा दिये जा रहे निर्देशों का कड़ाई से अनुपालन करें।
यह महामारी सर्वप्रथम वर्ष 2019 में नजर आयी है, इसलिये हमें वर्ष 2019 (सम्वत 2076) के ग्रह गोचर, आकाशीय काउंसिल तथा वर्ष की प्रमुख चार कुण्डलियों वर्ष, जगत्, ग्रीष्म एवं शरद की भी जानकारियाँ लेनी होगी।
सम्वत 2076 में संहिता ग्रंथों के अनुसार परिधावी सम्वत्सर था।
संहिता ग्रंथों के अनुसार,
धन-धान्य समृद्धिः स्यात् भयं भूरी प्रजायते।
अन्यथा क्षेममारोग्यं परिधाविति वत्सरे।
अर्थात - परिधावी सम्वत्सर में, धन-धान्य एवं समृद्धि रहने पर भी देश के सीमा प्रदेशों में भय अथवा आशंकाओं से भरा वातावरण रहता है।
भविष्यफल भास्कर के अनुसार,
भूयाहवो महारोगो मध्य सस्यार्ध वृष्टयः।
दुखिनो जन्तवः सर्वे सम्वत्सरे परिधाविनि।
अर्थात - परिधावी सम्वत्सर में, शासकों (राजनीतिज्ञों) में शक्ति परीक्षण अथवा राजनीतिक पार्टियों में परस्पर विरोध रहता है। वर्षा मध्यम होती है। महंगाई में वृद्धि होती है। जनजीवन रोगादि व अन्य कारणों से दुखी रहता हैं।
मेघ महोदय ग्रंथ के अनुसार,
अभिभूतं जगत्सर्व क्लेशैश्च विविधैः प्रिये।
मारुतो बहुदाहश्च परिधाविनि वत्सरे।
अर्थात - परिधावी सम्वत्सर में, सम्पूर्ण विश्व अनेकविध सामाजिक, राजनीतिक एवं प्राकृतिक उत्पातों से परेशान रहता है। वायुवेग अथवा अग्निकाण्ड आदि से अनेकत्र जन-धन हानि भी होती है।
सम्वत 2076 में राजा शनि था। यह वातावरण को दूषित कर के विश्व शान्ति को भंग कर सकता है।
दुर्भिक्ष-मरकं रोगान करोति पवनं तथा।
शनैश्चाराष्दो दोषाश्च-विग्रहांश्चैव भूभुजाम्।
अर्थात - राजा शनि होने से अनेक भयंकर रोगों का सामना जनता-जनार्दन को करना ही था। यह ऊपर के श्लोक से ज्ञात होता ही है। राजा शनि होने के प्रभाव से सम्बन्धित एक और श्लोक देखें।
शनैश्चरे भूमिपतौ सकृज्ज्लं प्रभूतरोगैः परिपीड्यते जनः।
युद्धं नृपाणां गदतस्कराधैर्भ्रमन्ति लोकः क्षुधिताश्च देशान।
अर्थात - वर्ष का राजा शनि हो तो एक ही बार वर्षा (वर्षा कम होती है) होती है। रोग बाहुल्य से लोग दुःखित होते हैं। राजाओं में युद्ध होने का भय बढ़ता है। अत्यधिक चोरी-डकैती होती है एवं लोगों को भूखे-प्यासे भटकना पड़ता हैं।
सम्वत्सर का स्वामी मंगल होने पर भी प्रजा में रोगों का भय रहता है।
नृपभयं गदतेयी हि तस्करात्प्रचूरधान्यधनादि महीतले।
रसचयं हि समर्धतमं तदा रविर्मत्यापदं हि समागतः।
अर्थात - यदि सूर्य मन्त्री हो तो, राजा, रोग और चोरों का भय बढ़ता है। पृथ्वी पर धन-धान्य की अधिकता होती है और रसों का संग्रह तथा समर्धता रहती है।
रविसुते जलदस्यपतौभवेद्धिरलवृष्टिवतीवसुधा तदा।
मनसितापकरोनृपतिः सदाविविधरोगरतां जनतामता।
अर्थात - यदि शनि मेघेश हो तो पृथ्वी पर विरली वर्षा होती है। राजा लोगों के मन में सन्ताप रहता है और लोग कई प्रकार के रोगों से पीड़ित होते हैं।
सभी दिनाँक व समय भारतीय मानक समय में है। इन सभी कुण्डलियों का निर्माण नई दिल्ली, भारत के लिये किया गया है।
सम्वत 2076 की प्रवेश कुण्डली में, कर्क लग्न उदित हो रहा है, जिनमें मंगल दुर्बल, गुरु मूलत्रिकोण, राहु और केतु उच्च होकर मूलत्रिकोण हो रहे हैं, और राहु-केतु एवं प्लूटो वर्गोत्तमी बन रहे हैं। मकर राशि स्वामी शनि वर्ष प्रवेश कुण्डली में अपनी राशि से बारहवें स्थान पर है। गुरु तथा केतु के साथ राहु का समसप्तक एवं मंगल के साथ शनि तथा गुरु का षड्ष्टक योग बन रहा है।
सम्वत 2077 की प्रवेश कुण्डली में, कर्क लग्न उदित हो रहा है, जिनमें मंगल उच्च का, गुरु स्वग्रही, शुक्र दुर्बल, शनि स्वग्रही एवं राहु और केतु उच्च होकर मूलत्रिकोणी हो रहे हैं।
दोनों वर्ष की प्रवेश कुण्डली में, सभी ग्रह राहु-केतु के मध्य होने से कुछ कठिन परिस्थितियों का आसार भी दे रहे हैं। लग्न स्थान के ऊपर स्थित मंगल और शनि की सप्तम पूर्ण दृष्टि भी पुरातन एवं देशहित के विपरीत नयी परिस्थितियों को दूर करने के लिये, कठिन स्थितियों का सामना करने के लिये कह रहे हैं। शनि-मंगल का यह सम्बन्ध मई 04, 2020 तक रहेगा।
ऊपर की दोनों ही कुण्डलियों में, छठें स्थान से जन रोग तथा चिकित्सा एवं आठवें स्थान से प्राकृतिक प्रकोप, दुर्घटना एवं बारहवें भाव से चिकित्सालयों एवं कारागारों एवं विदेशी आक्रमण का विचार मेदिनीय कुण्डली से किया जाता है। ग्रहों की ओर से देखें तो गुरु से व्यापार, शनि से रोग और कष्ट, राहु से अचानक दुर्घटना एवं विनाशकारी हानि, केतु से घटना को अंतिम छोर तक ले जाना, नेपच्यून से धोखाधड़ी एवं भ्रष्टाचार तथा प्लूटो से वैज्ञानिक आविष्कार, विस्फोट एवं सामाजिक अराजकता का ज्ञान देखा जाता है, जबकि वह सब कुछ ऊपर की दोनों ही कुण्डलियों से मालूम हो ही जाता है।
यह बात पूर्ण सत्य है कि ग्रहों की प्राकृतिक व्यवस्था में परिवर्तन होने से अतिवृष्टि, अनावृष्टि, युद्ध, महामारी, भूकम्प, अराजकता एवं उल्कापात जैसे उपद्रवों से संसार त्रस्त हो जाता है। कुछ प्राचीन ग्रंथों से यह स्पष्ट है कि आकाशीय पिण्डों/ग्रहों का विश्व के घटनाचक्र पर कुछ ना कुछ प्रभाव अवश्य पड़ता ही है और इस तथ्य को वैज्ञानिक, विचारक एवं बुद्धिजीवियों का एक बड़ा वर्ग स्वीकारता है।
अब विस्तारभय से लेख को आगे न बढ़ाते हुये जगत् कुण्डली, ग्रीष्म सस्य (फसल) एवं शरद सस्य कुण्डली का संक्षिप्त वर्णन करते हैं। सभी दिनाँक व समय भारतीय मानक समय में है। इन सभी कुण्डलियों का निर्माण नई दिल्ली, भारत के लिये किया गया है।
दिसम्बर 26, 2019 को ग्रहण मध्यकाल में एवं गोचर में, 7 ग्रह एक साथ हैं, अतः -
सप्तग्रहा यदैकस्या गोलयोगस्तदा भवेत्।
दुर्भिक्षं राष्ट्रपीड़ा च तस्मिनयोगे न संशयः।
अर्थात - जब 7 ग्रह एक राशि पर आते हैं तो यह 'गोल योग' कहलाता है। इस योग से देश में पीड़ा तथा दुर्भिक्ष होने में कोई संदेह नहीं होता है।
शनि एवं मंगल मकर राशि में मार्च 22, 2020 से मई 04, 2020 तक हैं, अतः -
कर्कमीनमृगस्त्रीषु शनिभौमौ यदा स्थितौ।
तदा दुद्धाकुला पृथ्वी धनधान्यविवर्जिता।
अर्थात - कर्क, मीन, मकर, कन्या इन राशियों पर यदि शनि मंगल हो तो राजाओं एवं राजकर्ताओं में युद्ध होता है और पृथ्वी अन्न रहित होती है अर्थात अन्न की उपज कम होती है।
मार्च 30, 2020 से मई 04, 2020 तक मंगल-बृहस्पति एक राशि मकर पर हैं, अतः -
एकराशिं गतावेतौ धरा पुत्रांगिरः सुतौ।
टाडा मेघाः न वर्षन्ति वर्षाकाल न संशयः।
अर्थात - मंगल-बृहस्पति एक राशि पर हो तो, इसमें कोई संदेह नहीं है कि वर्षा काल में वर्षा नहीं होती या कम होती है।
मई 14, 2020 सांय 17:17 के बाद सूर्य-बुध-शुक्र तीनों एक राशि में हैं, अतः -
एकराशिं स्थिता होते सौम्यशुक्रदिनाधिपाः।
सर्वधान्यमहर्घत्व मेघाः स्वल्पजलप्रदाः।
एकनक्षत्रगा होते तदा भयविवध्द्रँना।
अर्थात - बुध, शुक्र, सूर्य ये तीनों ग्रह यदि एक राशि पर हो तो अन्न महंगे होते हैं तथा वर्षा थोड़ी होती है। बुध, शुक्र एवं सूर्य एक नक्षत्र में हो तो भय बहुत होता है।
कुछ गोचर के प्राचीन एवं अर्वाचीन ग्रहों पर दृष्टि करने पर अग्रलिकित स्थितियाँ ज्ञात होती है।
वर्ष 1962 में, निम्न स्थिति निर्मित हुयी थी।
मंगल ग्रह मकर राशि में जनवरी 24, 1962 को 13:53 से मार्च 04, 1962 को 01:39 तक रहेगा।
गुरु ग्रह मकर राशि में फरवरी 10, 1961 को 12:18 से फरवरी 24, 1962 को 23:59 तक रहेगा।
शनि ग्रह मकर राशि में अक्टूबर 08, 1961 को 12:05 से दिनाँक जनवरी 27, 1965 को 21:02 तक रहेगा।
ऊपर के तीन ग्रहों की युति में मंगल की मकर उच्च राशि है, गुरु की मकर नीच राशि है एवं शनि मकर की स्वगृही राशि है। इस तरह ही 58 वर्ष के बाद मकर राशि में निम्न स्थिति बन रही है, जिन्हें कुछ आचार्य 'महारूचक योग' के नाम से पहचानते हैं।
वर्ष 2020 में, निम्न स्थिति निर्मित हो रही है।
मंगल - मार्च 22, 2020 को 14:53 से मई 04, 2020 को 20:53 तक मकर में।
गुरु - मार्च 30, 2020 को 05:05 से जून 30, 2020 को 04:03 तक मकर में।
शनि – जनवरी 24, 2020 को 11:17 से अप्रैल 29, 2022 को 10:35 तक मकर में।
इस तरह मंगल, गुरु, शनि मार्च 30, 2020 से मई 04, 2020 तक एक ही राशि मकर में युति कर रहे हैं। जब की अंशात्मक युति इस प्रकार हो रही है।
मंगल युति गुरु - मार्च 20, 2020 को 17:05
मंगल युति शनि - अप्रैल 01, 2020 को 00:01
गुरु युति शनि - मई 18, 2020 को 10:21
गुरु युति शनि - दिसम्बर 21, 2020 को 23:51
कुछ ज्योतिषीय युति जैसे कि मंगल एवं शनि या मंगल एवं गुरु या गुरु एवं शनि की अंशात्मक युति में, वैश्विक एवं क्षेत्रीय महामारियाँ भूतकाल में हुयी है। एक ज्योतिषीय विश्लेषण में, इन अंशात्मक युतियों में या इनके समयान्तर में कुछ महामारियां देखने को आयी है। इनकी सूची देखने के लिए भूत काल में आयी महामारियों की सूची पर क्लिक करें।
यहाँ प्रस्तुत माहिती से हमारा आशय यह है कि जब-जब मंगल युति गुरु, मंगल युति शनि, या गुरु युति शनि हुई है तब-तक इन समय के आसपास कुछ ना कुछ महामारी भी देखने में आयी है। आप सबसे नम्र निवेदन है कि फिलहाल चल रही महामारी से अपने आपको, अपने परिवार को एवं समाज को बचायें। सरकार द्वारा दिये जा रहे नियमों का पालन करें। ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि शीघ्र इस बीमारी/महामारी से सभी राष्ट्रों को मुक्ति मिले।
गोचर ग्रहस्थिति से ज्ञात होता है की देश को विश्व के प्रमुख देशों की कोटि में स्थापित करने में यह वर्ष आश्चर्यजनक परिणाम वाला होगा। लगभग सितम्बर माह 2020 तक सब कुछ सामान्य हो जायेगा।